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संगठन के बारे में

युवा जनता संघर्ष संगठन

युवा जनता संघर्ष राजनैतिक संगठन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन करना है यह परिवर्तन शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में विशेष व्यवस्थाएं करने से होगा। युवा संगठन शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन करने के लिए संपूर्ण देश के कोने-कोने में गरीब असहाय बच्चों को निःशुल्क बेहतर डिजिटल शिक्षा प्रदान कराने के लिए पाठशालायें, प्राईमरी व जूनियर स्कूल, इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, लॉ कॉलेज, विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य के क्षेत्र में परिवर्तन करने के लिए प्रत्येक गरीब असहाय व्यक्ति को निशुल्क बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पीटल व मेंडिकेयर बनबाने कार्य करना। देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी को देखते हुए देश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए की के लिए भी मजबूती से कार्य कर रहा है गरीब अनाथ एवं विधवा के जीवन यापन की व्यवस्था संगठन द्वारा उपलब्ध कराना। गरीब कन्याओं के विवाह को संपन्न कराना और उचित अनुदान उपलब्ध कराना, महिला शोषण को रोकने के लिए विशेष महिला सशक्तिकरण टीम को बनाना संगठन की प्राथमिकता है सम्पूर्ण गरीब जाति के उत्थान के लिये एक मात्र उपाय है कि एक मजबूत संगठन और उसके उचित नेतृत्व केे साथ निःस्वार्थ भाव से तन से, मन से, धन से,बुद्विसे और विवेक से जो भी सम्भव हो अपना सहयोग व समर्थन प्रदान करें। । अपनें अपनें समाज के उत्थान के लिए हम सबका फर्ज है कि हम निम्नलिखित बातों पर खुद अमल करें और सभी भाइयों,बहनों,बच्चों को इस सच्चाई से अवगत करायें । मेरा भारत महान है। परन्तु यह भी निर्विवाद सत्य है कि यहां अन्न उपजाने वाला अन्न के लिये मरता है,कुआ खोदने वाला प्यासा मरता है, कपड़ा बुनने वाला नंगा रहकर गर्मी,धूप,सर्दी और उपहास सहता है,महल अटारी उठाने वाले फुटपात पर रहते हैं,आजीवन सबका आदर सत्कार करने वाला मार,धक्का,और अपमान पता है। अतःगरीबी और शोषण से बचने का मात्र एक ही रास्ता है शिक्षा,संगठन,और संघर्ष। हमारा समाज जिस दिन इन तीनों तत्वों को अपना लेगा हमारा कल्याण सुनिश्चित हो जायेगा।

वोट हमारा – राज दूसरो का कब तक चलायेगे क्या हम हक अधिकार सम्मान,स्वाभिमान के लिए संघर्ष नहीं कर सकते?यह स्पष्ट है कि हम सभी की जाति एक है और वह है इन्सान का होना और धर्म भी सबका एक है इन्सानियत का होना । परन्तु ऐतिहासिक उथल पुथल और अपनी अज्ञानता के कारण हम एक दूसरे से अलग होते चले गये। हमें अपनें इतिहास का सही अध्यन करना आवश्यक है,तभी हम सब में जागृति आयेगी। यदि हमें अपना खोया हुआ गौरव फिर से प्राप्त करना है तो हमें अपनें पैरों पर खड़ा होना ही होगा। खोये हुए अधिकार कभी भी भीख मांग कर अथवा अधिकारों का हनन करनें वाले से प्रार्थना करके प्राप्त नहीं किया जा सकता है, किन्तु उसके लिये हमें निरन्तर संघर्ष करना होगा। स्वाभिमान खोकर जीवन व्यतीत करना लज्जास्पद बात है। स्वाभिमान जीवन में एक बहुत ही प्राणभूत शक्ति है, उसके बिना मनुष्य मात्र दीन-हीन बन कर रह जाता है । कठिन तपस्या तथा निरंन्तर संघर्ष से ही मनुष्य को शक्ति आत्म विश्वास तथा सम्मान प्राप्त हो सकता है।प्रजातांत्रिक युग में राजनीति को खोकर व्यक्ति सब कुछ खोदेगा। अतः हमें राजनीति में गांव स्तर पर, ब्लाक स्तर पर,जिले स्तर पर, प्रदेश स्तर पर या केंन्द्र स्तर पर सम्पूर्ण रूप से भाग लेनें की आवश्यकता है, आरै यह तभी सम्भव हो सकता है जब हम शिक्षित हों, समाज के प्रति जागरूक हों।

महिला संगठन ,युवा संगठन और छात्र संगठन समाज की प्रगति उनके महिला संगठ़न और शिक्षा से लगाया जा सकता है जिस समाज में जितने प्रतिशत महिलाएं शिक्षित होंगी उतनें ही प्रतिशत उस समाज का सही माने में प्रगति होगा। हमारे समाज को सुदृढ़ बनाने के लिये तीनों को शिक्षा का एवं संगठ़न का होना अति आवश्यक है। अगर ये तीनों का दृष्टिकोण जिस दिन एक हो जायेगा समाज की प्रगति में उस दिन से किसी प्रकार का अवरूध्द नहीं हो सकता । समाज दिन दुना रात चैगुना उन्नति कर सकता है । अतः हमें महिलाओं की शिक्षा एवं उनके संगठन में योगदान, युवा शक्ति का योगदान एवं छात्रों का योगदान बहुत ही आवश्यक है। हमारे समाज का हर एक शिक्षित व्यक्ति यह संकल्प करें कि वह समाज के हर व्यक्ति को शिक्षित करेगा ,तो हमारी शिक्षा की कमी भी पूरी हो सकेगी तथा हम संगठित भी हो सकते हैं। क्योंकि अशिक्षा ही समाज में एक बहुत बड़ी कमजोरी है, जिसके कारण हम गरीब लोग हीन भावना से देखे जाते हैं ।किसी परिवार,समाज या राष्ट्र के समुचित विकास के लिये संगठन, एकता की अत्यंत आवश्यकता होती है। संगठन प्रगति का प्रतीक और सुगम पथ है। हमारे समाज में ऐसा कोइ भी ऐसा संगठन नहीं बन पाया जो कि अपनें समाज को पूर्ण रूप से संगठित कर सके,तथा विकास का पथ प्रदर्शन कर सके। आपसी मतभेद बना रहता है। हर कोई एक दूसरे को अपनें से हीन तथा अपनें को श्रेष्ट समझ रहा है।चुनाव बीतते ही आपको शराबी, बिकाऊ, पिछलग्गू कहा जाता है। नेता जीतनें के बाद पहचानता तक नहीं है। किसी पार्टी से आपका कोई भाई जीत भी गया तो पिजड़े का शेर बनकर सिर्फ सरकस दिखाता है। किसी भी पार्टी में तुम्हारा या तुमहारे चुनाव जीते भाई का वजूद शासक का नहीं ,शोशित जैसा,गुलामों जैसा है। दरी बिछानें झण्ड़ा ढोने भीड़ जुटाने व वोट दिलाने से अधिक तुम्हारी कुछ़ भी हैसियत नही है। जब तक हम सब अपने वोट की कीमत नहीं समझेगे अपने वोट को अपनी बेटी की तरह नहीं समझेगे अपने वोट की सुरक्षा नहीं करेगे ,अशिक्षा और गरीबी के कारण हमारा वोट बिकता रहेगा तो हमारा विकास नहीं हो सकता। हर युग का धर्म अलग होता है। कलयुग का धर्म राजनीति है। और सत्ता राजनीति की चाभी है।

हम लोगो को शासन सत्ता स्वास्थ शिक्षा नौकरी आवास पेंन्शन व सरकारी जनाओ में भागीदारी मिले और, यह तभी सम्भव है। जब गरीब का बेटा विधायक ,सांसद व मंत्री बनेगा सत्ता की चाभी आपके पास होगी तब हमारा विकास होगा। आज सामाजिक व राजनैतिक दंन्श झेलने के बाद हम लोग क्यों नहीं सोचते हैं कि शासन सत्ता व राजनीति में हमारी भी गणना कब होगी।

वोट हमारा – राज दूसरो का कब तक चलायेगे क्या हम हक अधिकार सम्मान,स्वाभिमान के लिए संघर्ष नहीं कर सकते?

आओ हम सब मिलकर अपनी बिगड़ी खुद बनावें अपने पैरों चलकर अपना विकास करें दूसरे के भरोसे हमारा विकास नहीं हो सकता है। आओ हम सब मिलकर अपनी लड़ाई को खुद लड़ें।